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Women reservation bill

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नारी शक्ति वंदन अधिनियम 128th constitutional amendment  हमारी जो राजनीतिक व्यवस्था है उसी ने महिला आरक्षण आरक्षण विधेयक का नाम "नारी शक्ति वंदन अधिनियम" रखा है।लोकसभा में इस बिल के पक्ष में 454 वोट पड़े थे, सिर्फ दो सांसदों ने इसका विरोध किया था जबकि राज्यसभा में इस बिल का किसी ने विरोध नहीं किया, वोटिंग के दौरान राज्यसभा में 214 सांसद मौजूद थे सभी ने बिल के पक्ष में मतदान किया इस तरह दोनों सदनों में बिल सर्वसम्मत से पास हो गया था।         29 सितंबर दिन शुक्रवार 2023 को इस बिल को राष्ट्रपति ने भी मंजूरी दे दी और उनकी मोहर लगते ही यह बिल कानून बन गया क्योंकि लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद किसी भी बिल को अंतिम मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है ।  लेकिन अब इसमें कुछ और भी चीज होनी बाकी है और इसे अभी राज्यों से भी मंजूरी लेनी  है क्योंकि अनुच्छेद 368 के तहत अगर केंद्र के किसी कानून से राज्यों के अधिकार पर कोई प्रभाव पड़ता है तो कानून बनाने के लिए कम से कम 50% विधानसभाओं की मंजूरी लेनी होगी अर्थात यहां कानून देश भर में तभी लागू होगा जब 50% राज्यों की विधानसभाएं

Manuvad

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 मानुवाद  यदुवंशी क्षत्रिय और कुश वंशी क्षत्रिय दोनों मंडल कमीशन के गुणा गणित में पहले पिछड़ा बने और अब शूद्र बनने कि फ़िराक़ में हैं क्योंकि शासन और सत्ता के समीकरण में यही उनके लिए फायदेमंद है और अब साहित्य भी दलित हो गया है और  सोचने कि बात यह है कि रामायण और महाभारत को किस साहित्य के अंतर्गत रखा जाएगा क्योंकि इनके रचनाकार कि जाति भी बतानी पड़ेगी और तब....  चलिए कुछ और बात करते हैं  इन सारी बातों का अर्थ यही है कि बारहवीं शताब्दी से लेकर अब तक अर्थात इस्लामिक राज ( तुर्क, अफगान, मुगल) , इसाई राज ( अंग्रेज, French, पुर्तगाली) और संविधान लागू होने के बाद भी सब ब्राह्मणों का किया धरा है और आज भी सब उन्हीं के हाथ में हैं। सब व्यर्थ मतलब ए सब करने धरने का कोई मतलब नहीं है। जब ऐसी बर्बरता के बीच भी इन लोगों ने अपनी पहचान बचा के रखी और आज के नव ब्राह्मण जो दलित होने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं वह भी एक तरह का ब्राह्मण वाद ही है जो लोकतंत्र में संख्या बल को ध्यान में रखकर गढ़ा जा रहा है।  खैर सबको अपना एजेंडा चलाने का अधिकार है  बस हिम्मत करिए सच बताइए पर अफसोस इससे वोट नहीं मिलेगा जिसके लिए ख